हौज़ा / इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता हजरत अयातुल्ला खमेनेई के दृष्टिकोण से मानव अधिकारों पर नौवीं बैठक ईरान के यूथ ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स द्वारा भारत की राजधानी नई दिल्ली के एवान गालिब में आयोजित की गई।
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ईरान की तरक़्क़ी दुश्मनों से बर्दाश्त नहीं हो रही हैं
हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,यह हंगामे मंसूबे के साथ करवाए गए बाहरी सरकारों को यह महसूस हो रहा है, नज़र आ रहा है कि…
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:हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई
पश्चिम में घराने की बुनियादें हिल चुकी हैं।
हौज़ा/पश्चिम में औरत की मदद और उसकी ख़िदमत के नाम पर उसकी ज़िदगी को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई, क्यों? इस लिए कि सेक्शुअल करप्शन, नैतिक पतन और मर्द और औरत…
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:सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई
इस्लामी रेज़िस्टेंस के मोर्चे की हिफ़ाज़त, उसका दायरा फैलाना, उसे लैस करना और उसमें नई जान डालना शहीद सुलैमानी का कारनामा था
हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने रविवार दोपहर को शहीद क़ासिम सुलैमानी के घरवालों और उनकी याद में प्रोग्राम आयोजित करने वाली…
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शहीद कासिम सुलैमानी की बरसी के मौके पर सुप्रीम लीडर की परिवार वालों से मुलाकात/फोंटों
हौज़ा/जनरल क़ासिम सुलैमानी की बरसी के मौक़े पर शहीद के परिवार वालों और बरसी के कार्यक्रमों के आयोजकों से सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई…
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जन्म दर का कम होना, बहुत बड़ा ख़तरा
हौज़ा/आज एक अहम मुद्दा बच्चे पैदा करने का मुद्दा है और यह बहुत बड़ा चैलेंज हैं अच्छी लड़कियों और अच्छी औरतों के एक समूह ने क़ुबूल किया और अमल किया लेकिन…
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: महदवीयत
अगर महदवीयत का अक़ीदा न होता तो पैग़म्बरों की कुर्बानियाँ बेकार हो जातीं
हौज़ा/महदवीयत का अक़ीदा एक बुनियादी मामला है। अल्लाह की सबसे बुनियादी तालीमात का हिस्सा है। यही वजह है कि सभी इब्राहीमी धर्मों में, जहां तक हमें सूचना…
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:अहम ख़ुत्बे
इमाम ख़ुमैनी र.ह. इंक़ेलाब के बुनियादी उसूलों के मुहाफ़िज़
हौज़ा/समाज के हर बड़े बदलाव के सामने असली चैलेंज उस इंक़ेलाब या बदलाव की तरजीहात की हिफ़ाज़त करना है। यह समाज में हर बड़े बदलाव के सामने सबसे बड़ा चैलेंज…
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अहम ख़ुतबे
साम्राज्यवादी सिस्टम, हमारी अपनी और आंतरिक तरक़्क़ी के ख़िलाफ़ हैं
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,जो भी देश कोई ऐसा काम करे जो उसकी ख़ुद मुख़तारी और उसकी अपनी और आंतरिक तरक़्क़ी व प्रगति में…
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शरई अहकाम:
फोंटो वाले कपड़े में नमाज पढ़ना
हौज़ा/क्या ऐसे लिबास कपड़े के साथ नमाज़ पढ़ना मकरूह है कि जिन पर किसी इंसान या हैवान की फोटो बनी हुई हो, लेकिन फोटो वाले कपड़े किसी दूसरे कपड़े के नीचे…
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शरई अहकाम:
ख़ुम्स के हिसाब और भुगतान में देरी करना
हौज़ा: कुछ दिनों के लिए देरी करने में कोई समस्या नहीं है जिसमें माल का उपयोग उसी वर्ष के खुम्स में और खर्च के हिस्से के रूप में शुमार हो
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